हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम का जन्म वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हुआ। इस वर्ष भगवान परशुराम की जयंती 3 मई 2023 को होने वाली है इसी दिन हिंदू अक्षय तृतीया मनाएंगे।
परशुराम जयंती कैसे मनाई जाती है?
- परशुराम जयंती के एक दिन पहले से ही उनकी शोभायात्राएं शुरू हो जाती है और डीजे के साथ बड़े धूम धाम से शोभायात्रा निकाली जाती है।
- परशुराम जयंती के दिन सक्षम लोग श्रद्धालुओं के लिए हलवा, पकोड़ी और फलों का नाश्ता करवाते है।
परशुराम जयंती तिथि (Date)
- परशुराम जयंती यानी अक्षय तृतीया की तिथि मंगलवार 3 मई 2023 को 5 बजकर 20 मिनट से शुरुआत और समाप्ति 4 मई 2023, बुधवार को सुबह 7 बजकर 30 मिनट तक है।
परशुराम जयंती का महत्व
- अक्षय तृतीया के दिन भगवान परशुराम की पूजा करने से अज्ञात शत्रुओं से आपको मुक्ति मिल सकती है।
- परशुराम जयंती पर व्रत करने से आपको मिलने वाला पुण्य कभी समाप्त नहीं होगा और आपको मनचाहे फल की प्राप्ति होगी।
परशुराम जयंती 2023 पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
- सबसे पहले आप अपने आसपास किसी नदी में जाकर स्नान कर लें और यदि आपके आसपास कोई नदी नही है तो गंगाजल थोड़े पानी में मिलाकर भी स्नान कर सकते है।
- आपको व्रत करना है जिसमे आपको किसी भी प्रकार का अन्न नही खाना है अगर कोई बच्चा या बड़ा भी भूख लगे तो फलाहार कर सकते है।
- भगवान परशुराम की तस्वीर के सामने आकर दीप जला लें और पूजा करके भोग लगा दें।
- भोग लगाने के बाद आपको कुछ मात्रा में प्रसाद लेना है तो अपने आसपास बांट दे या हिंदू गरीबों में बांट दे और आपको हिंदू धार्मिक ग्रंथ श्रीमद भागवत का पाठ नियमित तौर पर करना चाहिए।
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- पंडितो को शास्त्र के साथ शस्त्र का ज्ञान होना भी जरूरी है ये भगवान परशुराम ने हमे सिखाया है।
- आओ हम सब मिलकर मनाए भगवान परशुराम जयंती – जय दादा परशुराम की
- शेर कभी सियार नही हुए, ब्रह्मण कभी गद्दार नही होते – जय दादा परशुराम
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भगवान परशुराम जयंती के बारे में रोचक तथ्य
- भगवान परशुराम का जन्म रेणुका और सप्तर्षि जमदग्नि के घर हुआ और वे हिंदू धर्म मान्यताओं के अनुसार धरती पर 7 अमर लोगो में से एक है।
- भगवान परशुराम के शिष्यों में भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य और कर्ण जैसे नाम शामिल है जो कुरुक्षेत्र के युद्ध में मारे गए थे।
- न्याय के देवता कहे जाने वाले भगवान परशुराम ने अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए पृथ्वी को 21 बार क्षत्रियों से मुक्त कर दिया।
- एक बार परशुराम जी श्री शिव जी से मिलने के लिए कैलाश पर्वत पर पहुंच गए जिसके बाद भगवान गणेश ने उन्हे उनसे मिलने से रोका जिसके बाद उन्होंने क्रोधित होकर भगवान गणेश का एक दांत अपने फरसे से तोड़ दिया।
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